GHANGHU, CHURU, CHURU

आस्‍टरेलिया से कुंवर प्रसेन राठौड जो ग्रेट घांघू के रहने हैं और उनका परिवार एवं दादोसा जयपुर बिराजते हैं। कुंवर प्रसेन राठौड का ग्रेट घांघू के बारे यह कहना है कि राजा घंगराय से पहले यह जगह शिवनगरी या शिवगढ़ के नाम से जानी जाती थी । बाद मैं राजा घंघराय ने शिवजी की तपस्या करके अपने नाम से गाँव का नाम रखा. हालाँकि कई लोग यह कहते हैं की उन्हें परी जी गाँव के कांच के तालाब मैं ही मिली थी, ज़्यादा एक्यूरेट बात यह है की शाकम्भरी माता के मंदिर के पास शिकार करते हुए उन्हें तीन परीयान मिली जिनमे से उन्होंने एक से शादी की. दिलचस्प बात यह भी है की हर्षनाथ जी (जहाँ हर्ष ने तपस्या की) मेरे ननियाल पक्ष ठिकाने के अंदर आता था (दुजोद).
राव कांधल जी ने अपना ठिकाना चाचाबाद मैं बाँधा. बाघ जी चाचाबाद मैं ही थे जब राव कांधल जी छत्तरियांवाली में काम आये. अपने पिता की मौत का वैर लेते हुए बाघ जी थोड़े ही महीने बाद झांसल के युद्ध में काम आये. बणीर जी छोटे थे और अकेले भी. उन्होंने पहले मेलूसर पर अपना कब्ज़ा किया और वहां तालाब भी बनवाया. फिर उन्होंने अपना ठिकाना घांघू में बाँधा. उनके बाद बणीरोतों के तीन बड़े ठिकाने कायम हुए - चुरू (मालदेव जी), घांघू (अचलदास जी) और घंटेल (महेशदास जी). चुरू के ठाकुर कुशल जी के वक्त से चुरू का प्रभाव ज़्यादा हुआ और बाकी बणीरोत ठिकाने उनके नीचे आ गए. बाद में चुरू और भादरा के साथ घांघू भी खालसा हो गया. बीकानेर और अंग्रेजी सेना का एक तरफ से आक्रमण और शेखावतों का दूसरी तरफ से आक्रमण बणीरोतों के लिए बहुत पड़ गया. खालसा के बाद ठिकाना तीन गाँव का रह गया (लाखाउ पहले ही अलग हो गया था). खालसा के बाद बणीरोतों के पट्टे यह थे -
कुचोर (चुरुवाला)
घांघू ( ३ गाँव)
देपालसर (८ गाँव)
झरिया (८ गाँव)
सात्यूं (८ गाँव)
लोहसना (७ गाँव)
अन्य (२३ गाँव)
ग्रेट घांघू के बणीरोतों का वंशावली क्रम इस प्रकार से है -
राव कांधल जी
बाघ जी
बणीर जी
अचलदास जी
देईदास जी
भगवानदास जी
सुन्दरदास जी
अमर सिंह जी
केसरी सिंह जी
रूप सिंह जी
भगवान सिंह जी
रिद्ध सिंह जी
बींजराज सिंह जी
जोध सिंह जी
कर्नल ठाकुर जोध सिंह जी के पांच पुत्र हुए - बने सिंह जी, जगमाल सिंह जी, भैरों सिंह जी, हीर सिंह जी और सुरेन्द्र सिंह जी. और छह पुत्रियां - मोन कँवर, पन्ना कँवर, प्रेम कंवर, नवल कंवर, देव कँवर और नेम कँवर.
जगमाल सिंह जी के दो पुत्र हैं - जीवराज सिंह (जिनका मैं बीटा हूँ - प्रसेनजीत सिंह) और करणी सिंह (जिनके बेटे दिव्येंद्र सिंह और महीरुद्र सिंह) और एक पुत्री - निर्मल कँवर (जिनके एक पुत्र अमित सिंह और एक पुत्री सीमा कँवर).\
कुंवर प्रसेन राठौड के ग्रेट दादोसा कर्नल राव श्री जोध सिंह जी राठौड् की तस्‍वीर जो यह कह रही है कि राठौड् वंश के बणीरोतों की कद काठी एवं रूआब की किसी से क्‍या तुलना, जैसे चांदी के बरतन में देशी गाय के घी के पिलांसे की महक और चांदी की चमक का संगम। जय राजपूताना

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