VIEWER BIRD NEST
एक सुंदर, सुरक्षित और बेहतर तकनीक के इस्तेमाल से बने घर की चाहत और महारत बया में होती है। बया काे मारवाडी में पीदिया कहते है। तुम्बीनुमा घोसला प्रजनन काल के दौरान इसके परिवार को पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान करने वाला होता है, यह न सिर्फ सुंदर ही होता है बल्कि पूरी तरह सुरक्षित भी। इसके घोसले की बनावट में अच्छी खासी इंजीनियरिंग देखी जा सकती है यानि तकनीकी रूप से भी यह सही होता है। मेह आंधी में भी इसका घोसला सुरक्षित रह पाता है। घोसले की बनावट इस तरह की होती है कि सांप, गिद्ध या चील जैसे बया के दुश्मन जीव इसमें कम से कम प्रवेश कर सके। बया का घोंसला कलाकार की कलाकारी कहा जाएगा। बया पक्षी गौरैया के आकार की छोटी सी चिडि़या है जो मात्र पांच से साढ़े पांच इंच तक लंबी होती है। इसकी चोंच गोरैया की अपेक्षा मोटी और पूंछ छोटी होती है। बया पक्षी को वीवर बर्ड या इसके वैज्ञानिक नाम प्लोसिअए से जाना जाता है। वैसे तो बया की कई प्रजातियां हैं किन्तु इन्हें दो वर्गों में देखा जाता है एक पट्टीदार बया और दूसरी काले कंठ वाली बया। बया फलोसाइनी प्रजाति का पक्षी है, भोजन में यह खेतों में बिखरे बीज, फल और फूल खाती है। यह झुंड में रहना पसंद करती हैं। जब कई सारी बया एकसाथ मिलती हैं तो जोर की चहचहाहट के साथ खूब शोर मचाती हैं। बया पक्षी को सामान्यतः विश्व भर में हर जगह देखा जा सकता है... इसे गन्ना, भुट्टा, और ज्वार जैसी फसलों के खेतों के आसपास अधिक देखा जाता है।
बया की इंजीनियरिंग का कमाल मानसून के समय में देखने को मिलता है जो इसका प्रजनन समय होता है। मई से सितम्बर के महीने में बया पक्षी अपने घोसले का निर्माण करते देखे जा सकते हैं। बया अपना घोसला ऊंची घास की टहनियों, सूखी पत्तियों, पेड़-पौधों की जड़ों और धागों से बनाते हैं। घोसला बनाने के लिए पेड़ की मोटी टहनी को चुनते हैं। घोसला बनाने के लिए उन कांटेदार वृक्षों जैसे कीकर को पसंद किया जाता है जिनकी डालियां नदियों, तालाबों या कुओं के ऊपर झुकी हुई हों। घोसला बनाने का कार्य नर बया करता है। नर बया घोसले को आधा बनाकर मादा बया के निरीक्षण के लिए छोड़ देता है। मादा को पसंद न आने पर नर पुनः दूसरा घोसला बनाना शुरू कर देता है, इस तरह नर बया शुरूआत में तीन से चार अधूरे घोसले बनाता है। जब इसके किसी घोसले को मादा बया की तरफ से हरी झंडी मिल जाती है अर्थात जब मादा की नजर में घोसला उपयुक्त मान लिया जाता है तब नर और मादा दोनों मिलकर उस अधूरे घोसले को पूरा करते हैं। बया के घोसले का आकार छोटा, बड़ा, गोल या लंबा कैसा भी हो सकता है यह घोसला बनाने वाले बया की पसंद पर निर्भर करता है कि वह कैसा घोसला बनाए। घोसले का प्रवेश द्वार इतना संकरा रखा जाता है कि इसमें बस यह नन्हीं सी चिडि़या ही प्रवेश कर पाए। घोसले में अंदर जाने के लिए डेढ़ से दो फीट तक लंबी नली बनाई जाती है जो बया को सुरक्षा प्रदान करती है परभक्षी पक्षियों से। घोसले में ठंडक के लिए बया अंदर की दीवारों पर गीली मिट्टी से प्लस्तर भी करती है। मादा अपने घोसले में एक बार में तीन से चार अंडे देती है जो 15 से 20 दिन में विकसित हो जाते हैं। दो से तीन माह तक बया अपने घोसले में अपने नन्हे मुन्नों के साथ उनकी देखभाल करते हुए रहती है और जब उसके बच्चे उड़ने लग जाते हैं तब पूरा परिवार अपना घोसला छोड़ कर चला जाता हैं। बया हर सीजन में नया घोसला बनाती है। बया का घोसला इतना आकर्षक होता है कि बया के द्वारा उपयोग के बाद खाली छोड़ गए घोसले को बहुत से लोग अपने घरों को डेकोरेट करने में इस्तेमाल करते हैं।
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