सर्वहितकारिणी सभा, चूरू

स्‍वामी गोपालदास एवं पंडित कन्‍हैयालाल ढंढ आदि प्रबुद्धजनों के अथक प्रयासों से श्री सर्वहितकारिणी सभा का सन 1906 में गठन किया गया। जन कल्‍याणकारी उदेश्‍यों से ओतप्रोत इस सभा ने प्रारम्भिक तौर अपना दायित्‍व समाज सेवा माना। ईश्‍वर ने जैसे इस सभा से जुडे मानसों को इस दायित्‍व की पूर्ति हेतु भेजा। जिसका अप्रतिम उदाहरण सन 1921 में प्रदेश में फैले भंयकर प्‍लेग की महामारी के दिनों में सभा द्वारा जो त्‍याग का परिचय दिया वह कम ही सूनने एवं पढने काे मिलता है। जैसा कि पढने को मिलता है प्‍लेग के दिनों में एक रात में पूरे गावं के गावं खाली हो जाते थे एवं लाशों का विधिवत रूप से दाह संस्‍कर करने वालों की भी कमी हो गई, उन दिनों सभा ने अपना पहला और अंतिम दायित्‍व इस महामारी में म़त जनों के दाह संस्‍कार को विधिवत रूप से करना समझा निस्‍वार्थ स्‍वरूप इस कार्य का कोई मोल नहीं एवं इससे बराबर पूण्‍य कर्म नही। सर्वहितकारिणी सभा से प्रत्‍यक्ष्‍ा और अप्रत्‍यक्ष रूप से जुडे सभी व्‍यक्तियों को मेरा नमन। श्री सर्वहितकारिणी सभा को चूरू जिले की सभी सामाजिक सेवा से जुडी संस्‍थाओं के पितामह की संज्ञा दी जा सकती है।



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