कुछ दिनों पहले मैंंने पेज पर जिक्र किया था कि सहनाली बडी से रामगढ जाने वाले रास्‍ते पर मिंडाळी जोहडी में स्थित एक अदभुत देव स्‍थान की तस्‍वीर एवं उसके बारे में कुछ वर्णन करूंगा। आज मेरा सौभाग्‍य रहा कि उस स्‍थान पर जाना हुआ और ग्राम से करीब एक किलोमीटर पैदल चलने पर मिंडाळी जोहडी में स्थित मंदिर के दर्शन किये और तस्‍वीरं खिंची। मंदिर में मन्‍नत स्‍वरूप मेंहदी के मांडने एवं मेंहदी के हाथ मांडे हुंए हैं । मंदिर पूरी तरह गोलाकार है मंदिर की उंचाई मुश्किल से 8 फीट की है, जैसा कि तस्‍वीर में दिखाई दे रहा है शीर्ष पर एक गोलाकार स्‍तम्‍भ भी है। वास्‍तु कला का यह अदुभत देवस्‍थान जानकारी लेने पर लगभग 400 वर्ष पुराना बताया एवं इतिहास के बारे में जानकारी लेने पर बताया कि करीब चार शताब्‍दी पूर्व महाजन परिवार से एक बारात इस मिंडाळी जोहड में विश्राम हेतु रूकी थी। बारात में परिवार के किसी व्‍यक्ति को सांप डस लेने के कारण उसकी अकाल म़त्‍यु हो गई जिससे पूरी बारात में शोक छा गया। ततसमय इस स्‍थान पर सांप काटने के कारण असमय ही देवगमन करने की घटनाक्रम के कारण यहां मंदिर बनाया गया हैा 






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